अगस्त्य
अगस्त्य (तमिल:அகத்தியர், अगतियार) यक बैदिक ॠषि रहें। यन वशिष्ठ मुनि कय बड़ा भाई रहें। यनकय जनम सावन शुक्ल पंचमी (तदनुसार ३००० ई.पू.) कय काशी मा भा रहा। अब इ जगह अगस्त्यकुंड कय नाँव से मसहुर है। यनकय पत्नी लोपामुद्रा विदर्भ देस कय राजकुमारी रहिन। यन्है सप्तर्षिन में से यक मानि जात है। देवतन कय चिरौरि पय यन कासी छोडीकय दक्खिन कय ओर गँय औ बाद में उहीं बसि गँय। महर्षि अगस्त्य राजा दसरथ कय राजगुरु रहें। यनकय गिन्ती सप्तर्षिन में कीन जात है। महर्षि अगस्त्य कय मंत्रदृष्टा ऋषि कहि जात है, काहे से यन अपने तपस्या कय समय में मंत्रन कय सक्ति कय देखे रहें। ऋग्वेद कय बहुत मंत्र यन लिखे हँय। महर्षि अगस्त्य ऋग्वेद कय पहिला मंडल कय 165 सूक्त से 191 तक कय सूक्त कय बताये रहें। यनकय बेटवा दृढ़च्युत औ दृढ़च्युत कय बेटवा इध्मवाह नवम मंडल कय 25वा औ 26वा सूक्त कय लिखे रहें।
अगस्त्य | |
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अगस्त्य महर्षि कय १२वा सताब्दी कय पाथर कय मूर्ति | |
वर्ग | ऋषि, सप्तर्षि |
जीवनसाथी | लोपामुद्रा |
महर्षि अगस्त्य कय पुलस्त्य ऋषि कय बेटवा मानि जात है। वनकय भाई कय नाँव विश्रवा रहा जे रावण कय पिता रहें। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा कय बेटवा रहें। महर्षि अगस्त्य विदर्भ कय राजा कय बिटिया लोपामुद्रा से बियाह किहिन, जे बिद्वान औ बेद कय जानकार रहिन। दक्खिन भारत में यन्हय मलयध्वज नाँव कय पांड्य राजा कय बिटिया बताइ जात है। वहं यनकय नांव कृष्णेक्षणा है। यनकय इध्मवाहन नाँव कय बेटवा रहा।
अगस्त्य के बारे में कहि जात है कि यक दाई यन अपने मंत्र सक्ति से समुन्द्र कय कुल पानी पि लिहे रहें, विंध्याचल पहाड़ कय झुका दिहे रहें औ मणिमती नगरी कय इल्वल औ वातापी नांव कय दुष्ट दैत्यन कय सक्ति कय खतम कइ दिहें रहें। अगस्त्य ऋषि कय समय में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ औ त्रसदस्यु रहें। अगस्त्य तमिल भाषा ब्याकरण लिखे रहें।
महर्षि अगस्त्य कय आश्रम
सम्पादनमहर्षि अगस्त्य कय भारतबर्ष में बहुत आश्रम हैं। यनमें से कुछ मुख्य आश्रम उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र औ तमिलनाडु में हैं। यक उत्तराखण्ड कय रुद्रप्रयाग जिला कय अगस्त्यमुनि नांव कय सहर में है। यहँ महर्षि तप किहें रहें औ आतापी-वातापी नांव कय दुई असुरन कय बध किहे रहें। मुनि कय आश्रम कय जगह पय अब यक मन्दिर है। आसपास कय ढेर गाँव में मुनि कय इष्टदेव कय रूप में मान्यता है। मन्दिर में मठाधीश नगिचवै बेंजी नाँव कय गाँव से होत हैं।