अवधी में कहावत
- अधाधुन्ध दरबार माँ गदहा पँजीरी खाँय।
- कत्त्थर गुद्दर सोवैं। मरजाला बैठे रोवैं।
- काम नहीं कोउ का बनि जाय। काटी अँगुरी मूतत नाँय।
- करिया बाभन ग्वार चमार। इन दून्हों ते रह्यो होसियार।
- खरी बात जइसे मौसी का काजर।
- गगरी दाना। सुद्र उताना।
- घर माँ नाहीं दाने। अम्मा चलीं भुनाने।
- घातै घात चमरऊ पूछैं, मलिकौ पड़वा नीके है।
- जग जीतेव मोरी रानी। बरु ठाढ़ होय तो जानी।
- जस मतंग तस पादन घोड़ी। बिधना भली मिलाई जोड़ी।
- जबरा मारै, रोवन न देय।
- जाड़ जाय रुई कि जाड़ जाय दुई।
- जाड़ लाग, जाड़ लाग जड़नपुरी। बुढ़िया का हगास लागि बिपति परी।
- ठाढ़ा तिलक मधुरिया बानी। दगाबाज कै यहै निसानी।
- त्रियाचरित्र न जानै कोय। खसम मारि कै सत्ती होय।
- दिये न बिधाता, लिखे न कपार।
- धन के पन्द्रा मकर पचीस। जाड़ा परै दिना चालीस।
- नोखे घर का बोकरा। खरु खाय न चोकरा॥
- नोखे गाँवैं ऊँट आवा। कोउ देखा कोऊ देखि न पावा।
- बहि बहि मरैं बैलवा, बाँधे खाँय तुरंग।
- बरसौ राम जगै दुनिया। खाय किसान मरै बनिया।
- बूढ़ सुआ राम राम थोरै पढ़िहैं।
- भरी जवानी माँझा ढील।
- लरिकन का हम छेड़तेन नाहीं, ज्वान लगैं सग भाई।
- बूढ़ेन का हम छोड़तेन नाहीं चहे ओढ़ैं सात रजाई।
- सूमी का धन अइसे जाय। जइसे कुंजर कैथा खाय।
- सोनरवा की ठुक ठुक, लोहरवा की धम्म।
- हिसकन हिसकन नौनिया हगासी।
- उठा बूढ़ा साँस ल्या, चरखा छोड़ा जांत ल्या।
- बाप पदहिन ना जाने, पूत शंख बजावे।
- बाप न मारेन फड़की, बेटवा तीरनदास।
- जहां जाये दूला रानी, उहाँ पड़े पाथर पानी।
- खावा भात, उड़वा पांत।
- तौवा की तेरी, खापडिया की मेरी।
- सास मोर अन्हरी, ससुर मोर अन्हरा, जेहसे बियाही उहो चक्चोन्हरा, केकरे पे देई धेपारदार कजरा।
- मोर भुखिया मोर माई जाने, कठवत भर पिसान साने।
- जैसे उदई वैसे भान, ना इनके चुनई ना उनके कान।
- पैइसा ना कौड़ी ,बाजार जाएँ दौड़ी।
- जेकरे पाँव ना फटी बेवाई ,ऊ का जाने पीर पराई।
- गुरु गुड ही रह गयेन, चेला चीनी होई गयेन।
- सूप बोलै त बोलै, चलनी का बोलै जे मा बहत्तर छेद।
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