साधारण बोलचाल कय भाषा में कर्म कय अर्थ होत है 'क्रिया'। व्याकरण में क्रिया से निष्पाद्यमान फल कय आश्रय कय कर्म कहत हैं। "राम घर जात है' इ उदाहरण में "घर" गमन क्रिया कय फल कय आश्रय होवे कय नाते "जाय क्रिया' कय कर्म होय।

दर्शन में कर्म एक विशेष अर्थ में प्रयुक्त होत है। जवन कुछ मनई करत है वसे कवनो फल उत्पन्न होत है।ई फल शुभ, अशुभ वा दुनों से भिन्न होत है। फल कय ई रूप क्रिया कय नाते स्थिर होत है। दान शुभ कर्म होय लेकिन हिंसा अशुभ कर्म होय। हियाँ कर्म शब्द क्रिया औ फल दुनों कय लिए प्रयुक्त होत है।