कालिंजर दुर्ग
कालिंजर दुर्ग, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के बांदा जिला मा एक्ठु दुर्ग आय। बुन्देलखण्ड क्षेत्र मा विंध्य पर्वत पय ई दुर्ग विश्व धरोहर जगह खजुराहो से 97.7 किमी अहय। एह का भारत कय सबसे बड़वार अउर अपराजेय दुर्गन म गिना जात हय। एह दुर्ग म कयिउ पुरान प्राचीन मन्दिर अहँय। इनमा कयिउ मंदिर तिसरी से पंचई सदी गुप्तकाल कय हँय। हियाँ के शिव मन्दिर के बारे मा मा बाय कि सागर-मन्थन से निकरे कालकूट विष का पिये के बाद भगवान शिव हिंययी तपस्या कएके वोहकय आगि शांत केहे रहें। कार्तिक पूर्णिमा के मउका पय लागय वाला कतिकी मेला हियाँ कय जाना माना सांस्कृतिक उत्सव आय। भारत कय आजादी के बाद एह कय प पहिचान एक खास इतिहासी धरोहर के रूप म कीन गय अहय। एह समय मा ई दुर्ग भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के मलिकाना अव देखरेख मा हय।
सन्दर्भ
सम्पादनसन्दर्भ ग्रन्थ व टीका
सम्पादन- ^क पौराणिक अव इतिहासिक ग्रन्थन मा कालिंजर क ब्योरा। कालिंजर-छठवां पाठ।(पीडीएफ) कु॰रमिता- शोध काम।शोध पर्यवेक्षक:प्रो॰बी॰एन॰राय।ज॰लाल नेहरु महाविद्यालय, बांदान21 अगस्त, 2001।
- सिंह, कु॰रमिता; रॉय, प्रो॰ बी॰ एन॰. "कालिंजर कय सांस्कृतिक अव इतिहासिक महत्व अउर पर्यटन कय सम्भावनाएं साभार : बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी, झाँसी (उ॰प्र॰)". बुंदेलखंड.इन. अभिगमन तिथि 6 मार्च 2017.: उप्पर लिखा शोध काम एक अउर भेबसाइट जालस्थल पय।
- ^ख एका भगवान शिव कय जाना माना नौ ऊखलन म से एक माना गवा हय, यथा:
रेणुका शूकरः, काशी, काली काल बटेश्वरौ। कालिंजर महाकाल, ऊखला नव मुक्तिदाः॥ -- शर्मा, हरि प्रसाद, कालिंजर, प्रथम संस्करण, इलाहाबाद, 1968, पन्ना 13। वायु पुराण:23104। लिंग पुराण:(शुरू से आधा)-24104। - ^ग सद्युगे कीर्तिको नाम त्रेतायां च महद्गिरिः। द्वापरे पिंगलौ नाम कलौ कालिंजरौ गिरिः॥ -- पद्म पुराण, (पाताल खण्ड, उमा-महेश्वर संवाद, 28, पूना, 1893-94)
- प्रयाग प्रशस्ति: गुप्त राजवंश सम्राट समुद्रगुप्त की ताईं राजकवि हरषेण विरचित, इलाहाबाद मा प्रसाय संगम पय अशोक स्तंभ पय खुदी प्रशस्ति।