अवधी में कहावत:संशोधन के बीच अंतर

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(कवनो अंतर नाइ है)

००:०९, १३ सितम्बर २०१४ कय अवतरण

  1. अधाधुन्ध दरबार माँ गदहा पँजीरी खाँय। (उदारता का नाजायज फायदा उठाने पर प्रयुक्त किया जाने वाला कहावत)
  2. कत्त्थर गुद्दर सोवैं। मरजाला बैठे रोवैं। (कथरी गुदड़ी ओढ़ने वाला आराम से सो रहा है लेकिन फैन्सी कपड़ों वाला जाड़े से ठिठुर रहा है।)
  3. काम नहीं कोउ का बनि जाय। काटी अँगुरी मूतत नाँय। (यदि किसी की कटी हुई उँगली इनके मूतने से ठीक हो जाए तो ये वह भी नहीं करेंगे।)
  4. करिया बाम्हन ग्वार चमार। इन दून्हों ते रह्यो होसियार।
  5. खरी बात जइसे मौसी का काजर।
  6. गगरी दाना। सुद्र उताना।
  7. घर माँ नाहीं दाने। अम्मा चलीं भुनाने।
  8. घातै घात चमरऊ पूछैं, मलिकौ पड़वा नीके है। (पड़वा मर रहा है। अगर मर गया हो चमार उसे खाल के लिये ले जायेगा।)
  9. जग जीतेव मोरी रानी। बरु ठाढ़ होय तो जानी।
  10. जस मतंग तस पादन घोड़ी। बिधना भली मिलाई जोड़ी।
  11. जबरा मारै, रोवन न देय।
  12. जाड़ जाय रुई कि जाड़ जाय दुई।
  13. जाड़ लाग, जाड़ लाग जड़नपुरी। बुढ़िया का हगास लागि बिपति परी।
  14. ठाढ़ा तिलक मधुरिया बानी। दगाबाज कै यहै निसानी।
  15. त्रियाचरित्र न जानै कोय। खसम मारि कै सत्ती होय।
  16. दिये न बिधाता, लिखे न कपार।
  17. धन के पन्द्रा मकर पचीस। जाड़ा परै दिना चालीस।
  18. नोखे घर का बोकरा। खरु खाय न चोकरा।।
  19. नोखे गाँवैं ऊँट आवा। कोउ देखा कोऊ देखि न पावा।
  20. बहि बहि मरैं बैलवा, बाँधे खाँय तुरंग।
  21. बरसौ राम जगै दुनिया। खाय किसान मरै बनिया।
  22. बूढ़ सुआ राम राम थोरै पढ़िहैं।
  23. भरी जवानी माँझा ढील।
  24. लरिकन का हम छेड़तेन नाहीं, ज्वान लगैं सग भाई।
  25. बूढ़ेन का हम छोड़तेन नाहीं चहे ओढ़ैं सात रजाई।
  26. सूमी का धन अइसे जाय। जइसे कुंजर कैथा खाय।
  27. सोनरवा की ठुक ठुक, लोहरवा की धम्म।
  28. हिसकन हिसकन नौनिया हगासी।
  29. उठा बूढ़ा साँस ल्या, चरखा छोड़ा जांत ल्या।
  30. बाप पदहिन ना जाने, पूत शंख बजावे।
  31. बाप न मारेन फड़की, बेटवा तीरनदास।
  32. जहां जाये दूला रानी, उहाँ पड़े पाथर पानी।
  33. खावा भात, उड़वा पांत।
  34. तौवा की तेरी, खापडिया की मेरी।
  35. सास मोर अन्हरी, ससुर मोर अन्हरा, जेहसे बियाही उहो चक्चोन्हरा, केकरे पे देई धेपारदार कजरा।
  36. मोर भुखिया मोर माई जाने, कठवत भर पिसान साने। (समझ सकती है।)
  37. जैसे उदई वैसे भान, ना इनके चुनई ना उनके कान।
  38. पैइसा ना कौड़ी ,बाजार जाएँ दौड़ी।
  39. जेकरे पाँव ना फटी बेवाई ,ऊ का जाने पीर पराई।
  40. गुरु गुड ही रह गयेन, चेला चीनी होई गयेन।
  41. सूप बोलै त बोलै, चलनी का बोलै जे मा बहत्तर छेद।

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