अवधी में कहावत:संशोधन के बीच अंतर
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# अधाधुन्ध दरबार माँ गदहा पँजीरी खाँय।
# कत्त्थर गुद्दर सोवैं। मरजाला बैठे रोवैं।
# काम नहीं कोउ का बनि जाय। काटी अँगुरी मूतत नाँय।
# करिया बाम्हन ग्वार चमार। इन दून्हों ते रह्यो होसियार।
# खरी बात जइसे मौसी का काजर।
# गगरी दाना। सुद्र उताना।
# घर माँ नाहीं दाने। अम्मा चलीं भुनाने।
# घातै घात चमरऊ पूछैं, मलिकौ पड़वा नीके है।
# जग जीतेव मोरी रानी। बरु ठाढ़ होय तो जानी।
# जस मतंग तस पादन घोड़ी। बिधना भली मिलाई जोड़ी।
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