अवधी में कहावत:संशोधन के बीच अंतर

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# तौवा की तेरी, खापडिया की मेरी।
#सास मोर अन्हरी, ससुर मोर अन्हरा, जेहसे बियाही उहो चक्चोन्हरा, केकरे पे देई धेपारदार कजरा।
# मोर भुखिया मोर माई जाने, कठवत भर पिसान साने। (समझ सकती है।)
# जैसे उदई वैसे भान, ना इनके चुनई ना उनके कान।
# पैइसा ना कौड़ी ,बाजार जाएँ दौड़ी।
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[[hi:अवधी में कहावते ]]