पुराण:संशोधन के बीच अंतर

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[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
'''पुराण''', [[हिन्दू धर्म|हिंदु]] कय धर्मसंबंधी आख्यानग्रंथ होय जवनेमें [[सृष्टि]], लय, प्राचीन ऋषि, मुनि अउर राजा कय वृत्तात आदि अहैं। ई [[वैदिक काल]] कय काफ़ी बाद कय ग्रन्थ हैं, जवन स्मृति विभाग में आवत अहैं। भारतीय जीवन-धारा में जवन ग्रन्थ कय महत्वपूर्ण स्थान अहै वनमें पुराण भक्ति-ग्रंथ कय रूप में बहुत महत्वपूर्ण माना जाते अहैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवता कय केन्द्र मानकय पाप औ पुण्य, धर्म औ अधर्म, कर्म औ अकर्म कय गाथा कही गा अहैं। कुछ पुराणों में सृष्टि कय आरम्भ से अन्त तक कय विवरण किहा गा अहै। यहमा हिन्दू देवी-देवता कय अउर पौराणिक मिथक कय बहुत अच्छा वर्णन अहै।
 
कर्मकांड ([[वेद]]) से ज्ञान ([[उपनिषद्]]) कय ओर आईकै भारतीय मानस में पुराणों कय माध्यम से भक्ति कय अविरल धारा प्रवाहित करे है। विकास कय इही प्रक्रिया में बहुदेववाद औ [[निर्गुण उपासना पद्धति|निर्गुण ब्रह्म]] कय स्वरूपात्मक व्याख्या से धीरे-धीरे मानस अवतारवाद या [[सगुण उपासना पद्धति|सगुण भक्ति]] कय ओर प्रेरित भए।