महाकवि घाघ:संशोधन के बीच अंतर

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* मार के टरि जाय, खाय के परी जाय
 
* माघ क ऊखम जेठ क जाड, पहिलै परखा भरिगा ताल।<br /> कहैं घाघ हम होब बियोगी, कुआं खोदिके धोइहैं धोबी।।
 
* माघ-पूस की बादरी और कुवारा घाम<br /> ई दूनौ का जो सहे ऊ करे परावा काम
कहैं घाघ हम होब बियोगी, कुआं खोदिके धोइहैं धोबी।।
 
* ओछे बैठक ओछे काम, ओछी बातें आठो जाम।<br /> घाघ बताए तीनो निकाम, भूलि न लीजे इनकौ नाम।।
* माघ-पूस की बादरी और कुवारा घाम<br />
 
ई दूनौ का जो सहे ऊ करे परावा काम
 
* ओछे बैठक ओछे काम, ओछी बातें आठो जाम।<br />
 
घाघ बताए तीनो निकाम, भूलि न लीजे इनकौ नाम।।
 
* खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत।
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* गोबर, मैला, नीम की खली, या से खेती दुनी फली।
 
* सौ की जोत पचासै जोतै, ऊँच के बाँधै बारी।<br /> जो पचास का सौ न तुलै, दव घाघ को गारी।।
 
जो पचास का सौ न तुलै, दव घाघ को गारी।।
 
* उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी, भीख निदान।