रफीक सादानी:संशोधन के बीच अंतर

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== परिचय ==
सादानी जी बर्मा देस मा पैदा भा रहे अउर हुवाँ से परिवार समेत फैजाबाद-अवध आइ गा रहे। अति थोर आमदनी आदि के बावजूद अवधी मा कविता लिखै की चुनौती का स्वीकार किहिन, पुरहरे निभाइन। दुरभाग से सादानी जी जैसे बेहद पापुलर अउर काबिल सायर की सायरी कै कौनौ संग्रहौ नाय आय सका है। इनके अब देहांत होय गा बा।
 
बिना कौनो स्कूली पढ़ाई किहे रफ़ीक अवधी व्यग्य के ऊ पायदान तक पहुचे जहाँ तक पहुचे खातिर बड़े बड़े पढ़े लिखे सपना देखत है|
रफ़ीक कय जनम सन १९३३ मा बर्मा ( आज के म्यांमार ) मा भवा रहै| इनके वालिद हुवां पय इत्र कय कारोबार करत रहे| दोसरे विश्व युद्द मा उनके कुल कारोबार तहसनहस ह्वे गवा अउर इनके वालिद का हुवा से पलायन करइ का परिगा| बर्मा छोड़ कय उनके वालिद अपने पूरे कुनबा के साथ उत्तर परदेस के फ़ैजाबाद मा आय के बस गे| हियाहीं से रफ़ीक के मन मा अवधी कय बिरवा निन्गरै का सुरु किहिस| ई बड़े अचरज कय बात रही कि दुनिया का व्यंग अयुर हंसी लुटावे वाले रफ़ीक खुद बड़ी मुफलिसी अयुर झंझटन मा जिंदगी गुजारीन| येकर अंदाजा यही से लगावा जाय सकत है कि यनकर यक लरिका अयुर यक भाय मुफलिसी के चलते दुनिया छोड़ दिहिन| मुल रफ़ीक अपनी मुफलिसी अयुर मजबूरी का आपन ताकत बनाईन|
दुनिया का हंसावे वाली ई आवाज़ ९ फ़रवरी सन २०१० का एक सड़क दुर्घटना मा हमेशा हमेशा के लिए शांत ह्वे गय| दुरभाग से सादानी जी जैसे बेहद पापुलर अउर काबिल सायर की सायरी कै कौनौ संग्रहौ नाय आय सका है। इनके अब देहांत होय गा बा।
 
== बाहर के कड़ियाँ ==