अगस्त्य:संशोधन के बीच अंतर

'{{Infobox deity | image =WLA_lacma_12th_century_Maharishi_Agastya.jpg | caption = अगस्त्य...' कय साथे नँवा पन्ना बनावा गय
 
No edit summary
पंक्ति १६:
 
अगस्त्य के बारे में कहि जात है कि यक दाई यन अपने मंत्र सक्ति से समुन्द्र कय कुल पानी पि लिहे रहें, विंध्याचल पहाड़ कय झुका दिहे रहें औ मणिमती नगरी कय इल्वल औ वातापी नांव कय दुष्ट दैत्यन कय सक्ति कय खतम कइ दिहें रहें। अगस्त्य ऋषि कय समय में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ औ त्रसदस्यु रहें।
अगस्त्य [[तमिल भाषा]] ब्याकरण लिखे रहें।
== महर्षि अगस्त्य कय आश्रम ==
महर्षि अगस्त्य कय भारतबर्ष में बहुत आश्रम हैं। यनमें से कुछ मुख्य आश्रम [[उत्तराखण्ड]], [[महाराष्ट्र]] औ [[तमिल नाडु|तमिलनाडु]] में हैं। यक उत्तराखण्ड कय [[रुद्रप्रयाग जिला|रुद्रप्रयाग]] जिला कय [[अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग|अगस्त्यमुनि]] नांव कय सहर में है। यहँ महर्षि तप किहें रहें औ आतापी-वातापी नांव कय दुई असुरन कय बध किहे रहें। मुनि कय आश्रम कय जगह पय अब यक [[अगस्त्यमुनि मन्दिर, रुद्रप्रयाग|मन्दिर]] है। आसपास कय ढेर गाँव में मुनि कय इष्टदेव कय रूप में मान्यता है। मन्दिर में मठाधीश नगिचवै [[बेंजी]] नाँव कय गाँव से होत हैं।
 
==सन्दर्भ==
{{reflist}}