कविता:संशोधन के बीच अंतर
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== इहो देखा जाय ==
* [[कवि]]
==यथार्थ ==
यथार्थ ( अवधी मे कविता )
# राजेश जिज्ञासु
मनई छोड मनई धन से नात लगावै
धन कै खातिर स्वार्थ कै जात बनावै
आपन-आन के मुश्किल पहिचानब
परेप साथ दिए वहिक आपन जानब
राजा कब्बो रंक बनै हरिश्चन्द्र कै देखी
दौलत कै धौंस पे कबहु न करी सेखी
प्रेम कै भुखा दुनियाँ इर्ष्या केहु न भावै
मायाममता से दुश्मन कै नजिक बोलावै
जनहित खातिर जियैमरै मसिहा कहावै
मउतो कै बाद इतिहास अमर बनावै
जेतनै तोपौ वतनै लौकै यी बुराई सारा
सच्चाई-सादगी जानी सभ्यता कै पारा
दिल से अच्छा सब से अच्छा बात यी खाटी
महान सोच सोना जानी बाँकी सब माटी
== बाहर के कड़ियाँ ==
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