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'''चाणक्य''' (अनुमानतः ईसापूर्व ३७५ - ईसापूर्व २२५) [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] कय महामंत्री रहे। वे 'कौटिल्य' नावँ से भी विख्यात हैं। वन [[नंदवंश]] कय नाश कईकै चन्द्रगुप्त मौर्य कय राजा बनाईन। वन कय द्वारा रचित [[अर्थशास्त्र ग्रन्थ|अर्थशास्त्र]] राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि कय महान ग्रंन्थ है। '''अर्थशास्त्र''' मौर्यकालीन भारतीय समाज कय दर्पण मानि जात है।
मुद्राराक्षस के अनुसार इनका असली नाम 'विष्णुगुप्त' रहै। विष्णुपुराण, भागवत आदि पुराणों तथा कथासरित्सागर आदि संस्कृत ग्रंथों मा तो चाणक्य का नाम आवा ही है, बौद्ध ग्रंथो मा भी इनकी कथा बराबर मिलत है। बुद्धघोष की बनाई हुई विनयपिटक की टीका तथा महानाम स्थविर रचित महावंश की टीका में चाणक्य का वृत्तांत दिया गवा है। चाणक्य तक्षशिला (याक नगर जो रावलापिंडी के पास रहै) के निवासी रहैं। इनके जीवन की घटनाओं का विशेष संबंध मौर्य चंद्रगुप्त की राज्यप्राप्ति से है। ई उस समय के एक प्रसिद्ध विद्वान रहैं , ईमा कोउनो संदेह नाहीं है। कहत हैं कि चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहत रहैं।
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