त्रेतायुग
पारिवारिक जीवन से विरक्त होने के बाद को गोस्वामी तुलसीदास काशी, चित्रकूट, अयोध्या आदि स्थान का भ्रमण करते रहे। माना जाता है कि सन् 1574 में अयोध्या में उन्होंने रामचरितमानस महाकाव्य की रचना प्रारंभ की जिसका कुछ अंश उन्होंने काशी में भी लिखा। इसके बाद उन्होंने कई अन्य ग्रंथो की रचना की।[१]
Tulsidas ने अपना बाकी जीवन काशी में प्रभु श्री राम कथा का गान करते हुए गुजरा। सन् 1623 के लगभग उन्होंने काशी में ही अपना शरीर त्याग दिया। तुलसीदास के निधन काल के संबंध में मतभेद नहीं है। सभी विद्वान उनकी मृत्यु 1680 (सन 1623ई.) की श्रावण शुक्ल सप्तमी को मानते हैं। तुलसी दास जी की मृत्यु के संबंध में यह दोहा बहुत प्रचलित है। Read More
- ↑ त्रेतायुग से जुड़े तुलसीदस जी के रामचरितमानस