फूल
फूल फूल वाला पौधन में मिलय जाए वाला एक अइसन संरचना होय जवने परागण कय खातिर बना अहै अऊर फल अव बीया बनय से पहिले होला। ई एक रूपांतरित प्ररोह ह जवन लैंगिक प्रजनन खातिर अभिप्रेत ह । एक प्ररूपी फूल मा कई प्रकार के विन्यास होत हैं जउन क्रम से फूले हुए वृन्त, जेके पुष्पासन या पुष्पधानी कहत हैं, पे लगे रहत हैं। इ सबइ अहइँ: बाह्य दलपुंज, दलपुंज, पुमंग अउर जायांग।
बाह्य दलपुंज अउर दलपुंज सहायक अंग ह जबकि पुमंग अउर जायांग जननांग ह । कुछ फूलन जइसे प्याज मा बाहरी दलपुंज अउर दलपुंज मा कौनो अंतर नाहीं होत है। इ सबइ पिरिदलपुंज कहा जात हीं। जब फूल मा पुमंग अउर जायांग दुन्नो ही होत है तब ओका द्विलिंगी या उभलिंगी कहत है। अगर कउनो फूल मँ केवल एक ही पुमंग या जायांग होत ह तउ ओका एकलिंगी कहा जात ह। जब पुष्प क पराग कोसिका से पराग कण वर्तिकाग्र पर जमा होइ जात हैं तब इके परागण कहत हैं।
फूलन क लम्बे समय से मनई आपन सुंदरता अउर सुखद सुगन्ध बरे सराहत हइन, अउर धार्मिक, अनुष्ठान, या प्रतीकात्मक वस्तुअन, या दवाई अउर भोजन क स्रोत क रूप मँ सांस्कृतिक महत्व भी रखत हइन।