एक ठु मुक्तक ( अवधी मे ) # राजेश जिज्ञासु
माटिक बर्तन कब फुट जाय का मालुम आज आपन काल्ह रूठ जाय का मालुम आज कै काम आजिन करी बहाना छोडी येंह तन से वायु कब छुट जाय का मालुम